लिरिक्स : मैं उस दरबार का सेवक हूँ
Singer - Sanjay Mittal Ji
Track - Main Us Darbar Ka Sewah Hun Lyrics
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में कहता हूँ,
मेरा मालिक शीश का दानी है।
इनके दरबार के नौकर भी,
दुनिया में सेठ कहाते है,
जिनको है मिली सेवा इनकी,
वो किस्मत पे इतराते है,
जो श्याम की सेवा रोज करे,
वो रात दिन फिर मौज करे,
जिन पर इनायत है बाबा की,
खुद खुशियाँ खोज करे,
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में कहता हूँ,
मेरा मालिक शीश का दानी है।
जब भी कोई चीत्कार करे,
तो इनका सिंगासन हिलता है,
ये रोक नहीं पाता खुद को,
झट जा कर उस को मिलता है,
जो श्याम प्रभु से आस करे,
बाबा न उनको निरास करे,
उन्हें खुद ये राह दिखाता है,
जो आँख मूंद विस्वाश करे,
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में कहता हूँ,
मेरा मालिक शीश का दानी है।
जिसने भी श्याम की चोकठ पर,
आ कर के माथा टेका है,
उस ने मुंड कर के जीवन में,
वापिस ना फिर कभी देखा है,
'माधव' जब श्याम सहारा है,
तो जीवन पे भव भारा है ,
जो हार गया इक बार यहाँ,
वो हारा नहीं दोबारा है,
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में कहता हूँ,
मेरा मालिक शीश का दानी है।
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में कहता हूँ,
मेरा मालिक शीश का दानी है।
टिप्पणी पोस्ट करें